ब्रह्माकुमारी प्रमुख दादी रतनमोहिनी का 101 साल की उम्र में निधन, राष्ट्रपति, पीएम मोदी समेत कई नामचीन हस्तियों ने जताया दुख

ब्रह्माकुमारीज ईश्वरीय विश्वविद्यालय की प्रमुख दादी रतनमोहिनी का मंगलवार को अहमदाबाद के एक अस्पताल में 101 वर्ष की आयु में निधन हो गया, जिसके बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्रियों और देश भर के गणमान्य लोगों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी और लोगों ने आध्यात्मिक नेता की शिक्षाओं, ज्ञान और समाज को दिए गए मार्गदर्शन को याद किया। एक बयान में ब्रह्माकुमारीज ने कहा कि दादी रतनमोहिनी जी ने अपनी दिव्य अवस्था प्राप्त की और 8 अप्रैल 2025 को अपने नश्वर शरीर को त्याग दिया। वह 101 वर्ष की थीं। ब्रह्माकुमारीज की प्रशासनिक प्रमुख के रूप में, दादी रतनमोहिनी के जीवन में गहरी आध्यात्मिक प्रतिबद्धता थी। बयान में कहा गया, उनका जीवन ईश्वरीय समर्पण का प्रमाण था। दादीजी की यात्रा शांति, प्रेम और ज्ञान के प्रसार के लिए एक सदी की अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाती है। उनका अंतिम संस्कार 10 अप्रैल को होगा।एक्स से बात करते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि वह ब्रह्माकुमारी संगठन के लिए प्रकाश की किरण थीं। इस संगठन ने उनकी जीवन यात्रा में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। राष्ट्रपति ने कहा कि दादी रतन मोहिनी जी के निधन के बारे में जानकर मुझे बहुत दुख हुआ है। वे ब्रह्माकुमारी संस्था का एक प्रकाश-स्तंभ थीं। इस संस्थान ने मेरी जीवन यात्रा में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। दादी रतन मोहिनी जी ने अपनी शिक्षाओं और कार्यों से अनगिनत लोगों की सोच और जीवन को संवारा। सेवा, सद्भाव, शांति और परोपकार के संदेश का प्रसार उन्होंने आजीवन किया। उनकी शिक्षाएं लोगों को अध्यात्म के मार्ग पर चलने और जन-कल्याण-कार्यों के लिए प्रेरित करती रहेंगी। मैं पूरे विश्व में विद्यमान ब्रह्माकुमारी परिवार के सभी सदस्यों एवं इस संस्था के शुभचिंतकों के प्रति शोक संवेदना व्यक्त करती हूं।

पीएम मोदी ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि दादी रतन मोहिनी जी की आध्यात्मिक उपस्थिति बहुत ही शानदार थी। उन्हें प्रकाश, ज्ञान और करुणा की किरण के रूप में याद किया जाएगा। उनकी जीवन यात्रा, गहरी आस्था, सादगी और सेवा के प्रति अडिग प्रतिबद्धता में निहित है, जो आने वाले समय में कई लोगों को प्रेरित करेगी। उन्होंने ब्रह्माकुमारीज़ के वैश्विक आंदोलन को उत्कृष्ट नेतृत्व प्रदान किया। उनकी विनम्रता, धैर्य, विचारों की स्पष्टता और दयालुता हमेशा सबसे अलग रही। वह उन सभी के लिए मार्ग प्रशस्त करती रहेंगी जो शांति चाहते हैं और हमारे समाज को बेहतर बनाना चाहते हैं। मैं उनके साथ अपनी बातचीत को कभी नहीं भूलूंगा। इस दुख की घड़ी में मेरी संवेदनाएँ उनके प्रशंसकों और ब्रह्माकुमारीज़ के वैश्विक आंदोलन के साथ हैं। ओम शांति।

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